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रोजर मूर: जेम्स बॉन्ड के पीछे की कहानी और भारत से उनका खास रिश्ता

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रोजर मूर का जीवन और करियर

नई दिल्ली, 13 अक्टूबर। रोजर मूर, जिन्होंने जेम्स बॉन्ड के रूप में दुनिया को प्रभावित किया, असल में एक दर्जी के बेटे थे। उनका जन्म 14 अक्टूबर 1927 को लंदन में हुआ। उनके पिता एक टेलर थे और बाद में पुलिसकर्मी बने। परिवार में अनुशासन था, लेकिन सपनों के लिए जगह कम थी।


रोजर ने आर्ट स्कूल में दाखिला लिया और चित्रकारी की शुरुआत की, लेकिन एक प्रोफेसर ने उन्हें कैमरा पकड़ने की सलाह दी, जिसने उनकी जिंदगी का रुख बदल दिया।


फिल्म उद्योग में कदम रखना उनके लिए आसान नहीं था। उन्होंने कई विज्ञापनों और टीवी शो में छोटे-मोटे रोल किए, लेकिन कोई उन्हें गंभीरता से नहीं लेता था। 1973 में 'लिव एंड लेट डाई' ने उनकी किस्मत बदल दी।


रोजर ने जेम्स बॉन्ड को एक नया अंदाज दिया, जिसमें गुस्से की जगह व्यंग्य और क्रोध की जगह मुस्कान थी। उनकी प्रसिद्ध लाइन 'माइ नेम इज बॉन्ड… जेम्स बॉन्ड' ने उन्हें एक अलग पहचान दी।


मूर का भारत से गहरा संबंध था। 1983 में 'ऑक्टोपसी' की शूटिंग के दौरान उन्होंने भारत का दौरा किया। उन्होंने अपनी जीवनी 'माई वर्ड इज माई बॉन्ड' में भारत के प्रति अपने प्यार का जिक्र किया।


उदयपुर में शूटिंग के दौरान, उन्होंने भारतीय संस्कृति को अपनाया और स्थानीय लोगों के साथ घुल-मिल गए। उन्होंने कहा, 'यू डोंट विजिट इंडिया...इंडिया विजिट्स यू फॉरएवर।'


23 मई 2017 को उनका निधन हो गया। मूर ने गोलियों के बजाय मुस्कान से जीत हासिल की। वे सिर्फ 007 नहीं थे, बल्कि दिलों में हमेशा जवान रहने वाले बॉन्ड थे।


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